नमस्ते दोस्तों 🙏 भारत के जो मंदिर की श्रृंखला जो मैंने शुरू की है आज उसमे हम रूबरू होंगे बावे वाली माता के मंदिर से जो देवी महाकाली का मंदिर है |
Source: pinterest
यह मंदिर ऐतिहासिक बाहु किले के अंदर है |जम्मू शहर से 5km दूर स्थित है महाकाली का मंदिर| ये मंदिर तवी नदी के किनारे बसा है, तवी नदी को सूर्य की पुत्री के रूप में भी जाना जाता है |इस किले को राजा बहुलोचन ने 3000 साल पूर्व बनाया था |मंदिर का निर्माण 1822 में हुआ |जम्मू तवी के इलाके को बावा कहा जाता है और इस मंदिर का नाम भी उसी वजह से बावा जाना जाता है |महाकाली देवी जम्मू की इष्ट है|रविवार और मंगलवार को यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है|ये मंदिर बाहु किले के भीतर बना हुआ है|इस किले का नाम राजा जम्बूलोचन के भाई बहुलोचन के नाम पर रखा गया है |
इतिहास : हाथी भी नहीं हिला पाए माता की मूर्ती को :
इस इलाके के लोग बताते हैं की राजा इस मंदिर का जो मुख है वो अपने महल की दिशा में करना चाहते थे |पर कई बार कोशिश करने के बाद भी असफलता ही हाथ लगी |एक बार किसी ने हाथी के द्वारा मूर्ती को हिलाने का सुझाव दिया | हाथी बुलाये गए पर जैसे ही वो मूर्ति को हिलाने का प्रयास करते वो ज़ोर से चिंघाड़ मारते जैसे की उन्हें पीड़ा हो रही हो |फिर तबसे मूर्ती वहीं रही |
पहले वैष्णो देवी की यात्रा तीर्थ के तौर पर की जाती थी इसलिए उसकी शुरुआत नगरोटा के कंडोली माता मंदिर से होती और बावा वाली माता के मंदिर पर समाप्त हो जाती |
कुछ प्राचीन मान्यतायें :अनूठी परंपरा :
पहले जब सेना युद्ध के लिए जाती तब सेना के सिपाही महाकाली के मंदिर में माथा टेकने जाते थे |यहाँ एक और मान्यता है की अगर किसी की मनोकामना पूरी हो जाती है तो वह माता को बकरी की बली देता है |पर बकरी की बली इस तरह दी जाती है की हत्या नहीं होती |इसके लिए बकरी को देवी के सामने लेकर बाँध दिया जाता है और फिर उसपर पानी के छीटे मारे जाते हैं | पानी के छीटे लगते ही बकरी छटपटा कर अपना शरीर हिलाती है तो समझ लीजिये की माता ने बली स्वीकार कर ली है |यहाँ पर प्रसाद के रूप में खास मावे की बर्फी मिलती है |
ये मंदिर एक किले के अंदर है जहाँ एक सुन्दर बगीचाँ भी है | उस बगीचे को बाग़ -ए -बाहु कहा जाता है |यह एक ख़ास पिकनिव स्पॉट बन चुका है |
मंदिर कैसे पहुंचे :
यह मंदिर शहर के बीचो बीच होने की वजह से आसानी से पंहुचा जाया जा सकता है |मिनी बस, ऑटो, कैब करके जा सकते हैं |
धरा दानवो से भयभीत हुई,
संकट से चीँखी चिल्लायी,
अपने रौद्र रूप में
देखो महाकाली आयी ||
कालचक्र की गति हूँ मैं,
चंडी, दुर्गा और सती हूँ मैं,
जिससे बुराई आज भी काँपती हैं,
हाँ वही ||| महाकाली हूँ मैं ||
बाग़ ए बाहु ( जम्मू )
Source : Google
तो चलिए फिर कल मिलते हैं और चलेंगे जम्मू के किसी और मंदिर की खोज में | तब तक धन्यवाद और अपना ध्यान रखते रहिये और पढ़ते रहिये और ज्ञान बाटते रहिये |
Comments
Post a Comment