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नीम करोली बाबा : महाराज -जी 🙏🏻

बाबा नीम करोली एक चमत्कारी बाबा थे |भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते थे |तो आज जानते हैं उनके बारे में कुछ रोचक बातें |



बाबाजी का जन्म बीसवीं शताब्दी में हुआ था |बाबा की गिनती महान संतों में होती है |बाबाजी का जन्म अकबरपुर में हुआ था जो की उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में हैं |हिरनगांव से 500 m दूरी पर है |1900 में बाबाजी ने जन्म लिया |

उनका वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था |पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था |11 वर्ष की अल्पआयु में इनका विवाह एक ब्राह्मण परिवार की कन्या से हुआ |लेकिन कुछ समय बाद बाबाजी ने घर छोड़ दिया और वे गुजरात चले गए |वहाँ पर वैष्णव मठ में दीक्षा ली | 9 वर्ष तक साधना करने के बाद बाबा फ़िरोज़ाबाद के नीम करोली नामक गांव में रुके |यहीं ज़मीन में गुफा बनाकर एक हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित की |किसी परिचित ने बाबा के पिता के बारे में बताया |

तो उन्हें वापस गृहस्थ आश्रम जाना पड़ा |बाबा के 2 पुत्र और एक पुत्री हुए |लेकिन 1958 के आस पास बाबा ने घर त्याग दिया | फिर बहुत से स्थानों का भ्रमण करते हुए बाबाजी कैंची ग्राम पहुंचे |

9 सितम्बर 1973 बाबाजी कैंची धाम से आगरा की ओर निकल गए | 10 सितम्बर 1973 को मथुरा स्टेशन पर पहुंचते ही महाराज जी बेहोश हो गए और उन्होंने शरीर त्याग दिया | उनकी समाधि वृन्दावन मंदिर में स्थित है |

कैंची धाम :

नैनीताल से लगभग 17 कि. मी बाबा का आश्रम है |कैंची नाम  मंदिर मार्ग के दो तीव्र मोड़ो के कारण रखा गया है | कैंची धाम में  प्रतिवर्ष 15 जून वार्षिक महोत्सव मनाया जाता है | कहा जाता है कि बाबा जब 17 साल के थे तो वे सारा ज्ञान प्राप्त कर चुके थे | कैंची धाम का निर्माण 1964 में हुआ था |उन्होंने वहाँ हनुमान मंदिर कि स्थापना की |

कुछ रोचक बातें :

1. बाबा को हांडी वाले बाबा, तिकोनिया बाबा या फिर तलैया बाबा सहित कई नामों से जाने जाते हैं |

2. बाबा ने वावेनिया मोरबी में तपस्या की वहाँ उन्हें तलैया बाबा के नाम से लोग पुकारते थे |

3. एक बार बाबा फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे | जब टिकट चेकर आया तो बाबा के पास टिकट नहीं थी | अगला स्टेशन आते ही बाबा को उतार दिया गया | फिर ट्रेन चलाने का जब आर्डर दिया गया तो ट्रेन चली ही नहीं | हरी झंडी दिखाने के बाद भी नहीं चली | बहुत प्रयास करने के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली तो लोकल मजिस्ट्रेट जो बाबा को जानता था उसने बाबा को सम्मान पूर्वक अन्दर लाने को कहा | बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चल पड़ी |

4. 1961 में पहली बार बाबा आए और अपने पुराने मित्र पूर्णनंद जी के साथ मिलकर आश्रम बनाने को कहा | 1964 में आश्रम स्थापित किया गया |

5. बाबाजी का समाधि स्थल पंत नगर में हैं |वहां जो भी व्यक्ति अपनी कोई मुराद लेके जाता है वो पूरी हो ही जाती है |

6. एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबैर्ग, जूलीया रॉबर्ट्स बाबाजी के भक्त है |बाबाजी के दर्शन करने के बाद उनका जीवन बदल गया |

7.15 जून को कैंची धाम में मेले का आयोजन होता है और देश विदेश से लोग आते हैं |बाबा को भगवान हनुमान का दर्ज़ा दिया गया है |हनुमान का भव्य मंदिर बनवाया गया |

8. रिचर्ड अल्बर्ट ( रामदास ) ने नीम करोली बाबा पर "मिरेकल ऑफ़ लव " नामक एक किताब लिखी है |इसी में "बुलेटप्रूफ कम्बल " नाम से एक घटना का जिक्र है |

बाबा हमेशा एक कम्बल ओढ़ा करते थे | बाबाजी के मंदिर में हमेशा कम्बल की भेंट चढ़ाया जाता है |

रिचर्ड ने बताया की बाबा के कई भक्तों में एक बुजुर्ग दम्पति भी थे जो फतेहाबाद में रहते थे |

कम्बल की घटना 1943 से जुड़ी है |एक दिन बाबाजी उनके घर पहुंच गए |बाबाजी बोले की वो उनके घर रुकेंगे |बुजुर्ग दम्पति गरीब थे और वे सेवा के लिए उनके पास कुछ भी नहीं था |पर जो कुछ उनके घर था सब दे दिया | बाबा को उन्होंने ओढने के लिए कम्बल दिया |वह दम्पति बाबा के साथ ही सो गए |

अचानक रात को उनको किसी के करहाने की आवाज़ सुनने लगी | पता चला की बाबाजी करहा रहे थे जैसे उनपे कोई वार कर रहा हो | उन्होंने सोचा की आखिर बाबा को क्या हुआ है| पूरी रात बीत गयी | बाबाजी ने वो कम्बल उस दम्पति को दे दिया और बोला की उसे गंगा में प्रवाहित कर आए | लेकिन उसको बिलकुल खोलके नहीं देखना है |

जैसे ही दम्पति उस कम्बल को ले जाने लगे तो उन्हें ऐसे लगा की कुछ लोहे का सामान है उस कम्बल में पर उन्होंने खोलके नहीं देखा |और उसे गंगा में प्रवाहित कर आए |

उस दम्पति का एक बेटा था जो ब्रिटिश फौज में सैनिक था | दुसरे विश्व युद्ध के समय बर्मा फ्रंट पर तैनात था | उनका बेटा कुछ समय बाद लौट आया |जब दम्पति ने बाबाजी वाली घटना अपने बेटे को सुनाई तो वह अचंभित रह गया |

बेटे ने बताया कि उसी रात वह जापानी दुश्मनों के बीच लड़ता रहा और वह अकेला बच गया | खूब गोलाबारी हुई लेकिन एक भी गोली उसे नहीं लगी |बाबा ने सारा प्रहार अपने ऊपर ले लिया | दम्पति बाबाजी का चमत्कार समझ गए |

आज भी कैंची धाम स्थित मंदिर में बाबा के भक्त कम्बल चढ़ाते है |बाबा खुद भी हमेशा कम्बल ओढ़ा करते थे |

बाबाजी के कुछ बातें :

बाबाजी कहते हैं :

1. जो आपको दिखता है वह सत्य नहीं है बल्कि सत्य तो हर जगह पर है वह ही ईश्वर है |

2. हर किसी की सेवा करें, हर किसी से प्रेम करें, सत्य की राह पर चलें |

3. आप अपने सौ साल तक योजना बना सकते हैं किन्तु आप यह नहीं जानते की अगले पल क्या होगा |

4. सारी चिंताएं छोड़ दो, यही सब समस्याओं की जड़ है |

5. आप जो भी सच्चे दिल से चाहोगे वह आपको मिलना तय है |


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