Skip to main content

सूर्य के महा उपाय : सूर्य दोष

सूर्य एक विशालकाय तारा है |सूर्य के चारों ओर आठों गृह और उनके उल्काएं चक्कर लगाते रहते है |वेदों में सूर्य को   जगत आत्मा माना गया है |सूर्य के कारण धरती पर पशु पक्षी, समुद्र में जीव जंतु का जन्म हुआ और वे सभी सूर्य पुत्र है |



तो चलिए जानते हैं की कैसे होता है सूर्य ख़राब : लाल किताब द्वारा :

1. घर की पूर्व दिशा दूषित होने से सूर्य ख़राब होता है |

2. अगर आपने कभी विष्णु भगवान का अपमान किया है तो सूर्य कुंडली में ख़राब होते हैं |

3. पिता का सम्मान ना करने से भी सूर्य ख़राब हो जाते हैं |

4. अगर आप सुबह देर से सोकर उठते हैं ती कुंडली में सूर्य ख़राब होता है |

5. अगर सूर्य राहु औऱ शुक्र अथवा शनि के साथ मिल जाये तो ख़राब फल देता है |

सूर्य के शुभ होने से आप एक सफल अधिकारी या राजनीतिज्ञ बनते हैं |

अगर सूर्य नवम या दशम भाव में होता है तो सर्वश्रेष्ठ फल देता है |

सूर्य ख़राब होने के लक्षण ( बीमारियां ):

1. सूर्य ख़राब होने से व्यक्ति बुद्धि और विवेक खो बैठता है |

2. व्यक्ति का दिमाग एवं शरीर का दांया हिस्सा सूर्य का होता है |

3.दिल का रोग, धड़कन तेज़ या कम होना भी एक लक्षण है |

4. मुँह या दाँत में अगर तकलीफ हो सूर्य ख़राब होता है कुंडली में |

5. बेहोशी का रोग होना |

6. सर दर्द हमेशा बना रहता है |

7. गुरु, देवता या पिता साथ छोड़ जाते हैं |

8. नौकरी चली जाती है, सोना खो जाना |

9. अगर सूर्य या शनि दोनों गृह मिलने से घर की स्त्री को कष्ट होता है |

व्यक्ति रोगों से घिर जाता है सूर्य ख़राब होने से कुंडली में |नौकरी, बिज़नेस या राजनीति किसी भी काम में सफलता प्राप्त नहीं होती |इसे सूर्य दोष कहलाया जाता है |इन उपायों से सूर्य को मजबूत किया जा सकता है |

1. सूर्य की स्थिति को मजबूत करने के लिए 12 रविवार व्रत रखें |पूरे साल या 30 रविवार भी व्रत रख सकते हैं |इससे सूर्य प्रसन्न होते हैं और कार्यो में सफलता प्राप्त होती है |

2. रविवार के दिन स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करें |

मंत्र :ॐ रं रवैये नमः

       ॐ घृणि सूर्याय नमः का 108 बार ( 1 माला ) का जाप करें |

3. रविवार के दिन नमक का सेवन ना करें | भोजन में दलिया, दूध, घी, चीनी, गेहूं की रोटी का सेवन करने से स्थिति मजबूत होती है |शारीरिक कष्ट दूर होते हैं और आरोग्य की प्राप्ति होती है |

4. लाल या पीले रंग के वस्त्र, गुड़, सोना, ताम्बा, मणिक्य, गेहूं, लाल कमल, मसूर दाल या गाय का दान करें |

5.मणिक्य रत्न धारण करें | इसके अलावा उप्रत्न जैसे तमड़ा, लालड़ी या सूर्यकांत मणि भी धारण कर सकते हैं |

6. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें | गायत्री मंत्र का जाप लाभकारक होता है |

7. गौ सेवा, गाय को रोटी खिलाये, मछलियों को आटे की गोलियां डाले और चींटीयों को चीनी डालें |

8. माता -पिता के चरण स्पर्श करने से सूर्य मज़बूत होता है |

9. पूर्व दिशा को वास्तुशास्त्र द्वारा ठीक करें |

10. भगवान विष्णु की उपासना करें |

11. बंदर, पहाड़ी गाय या कपिला गाय को भोजन करवाये |

12. सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य दें |

13. गुड़ का दान दें |

इन्ही सभी लाल किताब के उपायों से आप सूर्यदेव को प्रसन्न कर सकते हैं |

धन्यवाद मिलते हैं अगले ब्लॉग में 🙏🏻



Comments

Popular posts from this blog

श्रीखंड महादेव यात्रा ( शिव मंदिर )

  Shrikhand Mahadev is a hindu pilgrimage site in Kullu, Himachal Pradesh. Its abode of Lord Shiva and consort of goddess Parvati. Its one of the toughest treks in India. The 75 ft Shivalinga at the top of the mountain of height 18,570 .This is an important place for the devotees of Lord Shiva. The journey is called" Shrikhand Mahadev Kailash Yatra ". This journey takes places mainly in Sawan. Its situated on hill and the Shivalinga is of 75 ft. The journey starts from the base of Jaun village of Himachal Pradesh. And from there is 32 km walk to the top of Shrikhand. The whole route is quite dangerous. The journey is tougher than Amarnath Yatra. Only above 15 years of age people can take part in the lord shiva journey or trek. There is a statue of Goddess Parvati, Lord Ganesha, Swami Kartik above 50 before the visit of Shrikhand Mahadeva. On the way there are natural Shiva caves, seven temples in Nirmand, Nine godesses( Mata Parvati), Javas, Parashurama temple, Dakshineshw

नीम करोली बाबा : महाराज -जी 🙏🏻

बाबा नीम करोली एक चमत्कारी बाबा थे |भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते थे |तो आज जानते हैं उनके बारे में कुछ रोचक बातें | बाबाजी का जन्म बीसवीं शताब्दी में हुआ था |बाबा की गिनती महान संतों में होती है |बाबाजी का जन्म अकबरपुर में हुआ था जो की उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में हैं |हिरनगांव से 500 m दूरी पर है |1900 में बाबाजी ने जन्म लिया | उनका वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था |पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था | 11 वर्ष की अल्पआयु में इनका विवाह एक ब्राह्मण परिवार की कन्या से हुआ |लेकिन कुछ समय बाद बाबाजी ने घर छोड़ दिया और वे गुजरात चले गए |वहाँ पर वैष्णव मठ में दीक्षा ली | 9 वर्ष तक साधना करने के बाद बाबा फ़िरोज़ाबाद के नीम करोली नामक गांव में रुके |यहीं ज़मीन में गुफा बनाकर एक हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित की |किसी परिचित ने बाबा के पिता के बारे में बताया | तो उन्हें वापस गृहस्थ आश्रम जाना पड़ा |बाबा के 2 पुत्र और एक पुत्री हुए |लेकिन 1958 के आस पास बाबा ने घर त्याग दिया | फिर बहुत से स्थानों का भ्रमण करते हुए बाबाजी कैंची ग्राम पहुंचे | 9 सितम्बर 1973 बाबाजी कैंची धाम से आगरा क