Skip to main content

मधुमालती : सुंदरता की अनुपम रेखा!

 नमस्ते ब्लॉग मेंबर्स 🙏🏻 कैसे हैँ आप सब? आशा करती हूँ आप सब सकुशल होंगे |आज रूबरू होते हैँ मधुमालती के फूलों से |

मधुमालती :[ Honeysuckle, Rangoon Creeper]

ये एक वनस्पति है जो झाड़ी के रूप में पायी जाती है | ये लता या बेल के रूप में भी देखी जाती है |यह कैपरीफॉलीसी वंश में आती है |इसकी 180 प्रजातियां है | 100 प्रजातियां चीन,20 - भारत,20 - यूरोप,20-उत्तरी अमेरिका में पायी जाती है |

इसकी सबसे प्रसिद्ध प्रजाति है लोनीकेरा जैपोनिका  (lonicera japionica)- जापानी / चीनी  मधुमालती

लोनीकेरा पेरीक्लिमेनम ( lonicera periclymenum/woodbine) या लोनीकेरा सेमपर वीरेंस ( Lonicera Sempervirens/ Trumpet honeysuckle/ woodbine honeysuckle ).

मधुमालिका के कुछ पुष्पों की ओर गुंजन पक्षी ( Humming bird) बहुत आकर्षित होते हैँ |

साइंटिफिक क्लासिफिकेशन :

Caste: C. Indicum

Binomial Name:Combretum Indicum

इसका नाम मधुमालती इसलिए सार्थक है क्यूंकि इसके पुष्पों से खाद्य 'मधु 'निकाला जाता है | यह सौन्दर्य तथा स्वतः फैली हुई झाडी के रूप में पायी जाती है |

यह एशिआयी देशों में पाए जाने वाले फूलों की लता है |अंग्रेजी में रंगून क्रीपर या चीन में chinese honeysuckle कहा जाता है |

बंगाली में : मधुमंजरी, तेलुगु में राधामनोहरम, आसामी में मालती या झुमका बेल कहा जाता है |

विवरण :

मधुमालती की लता 2.5 से 8 मीटर ऊँचाई तक फैलती देखी गयी है |इसके पत्ते 4-5 इंच बड़े होते हैँ |फूल लाल, गुलाबी और सफ़ेद रंग के गुच्छो में खिलते हैँ |दिखने में बहुत मनमोहक लगते हैँ एवं अपनी भीनी खुशबू से घर -आँगन मेहकाते भी रहते हैँ |

इसका पौधा आसानी से लग जाता है |यह पौधा सहारा पकड़कर तेज़ी से लग भी जाता है |कुछ ही दिनों में फ़ैलकर छा जाता है |गर्मियों में घनी छाया देता है  और घर को कड़ी धूप से बचाता है |

पहले इसके फूल सफ़ेद रंग के होते हैँ और फिर गुलाबी रंग के हो जाते हैँ |पूरे साल बेल पर मालती के फूल लगते रहते हैँ |यह बालकनी, गेटपोस्ट, बाड़, छत, खम्बे और दीवारों को कवर कर लेते हैँ | गुच्छो में खिलके ये नीचे की ओर झुके रहते हैँ |

इसकी जड़, पत्तियां और फूल का कई रोगों के उपचार में उपयोग होता है |

रोचक जानकारी :

ये फूल लोगों की तरह रंग बदलते हैँ (😅). पहले दिन सूर्योदय जब इसके फूल खिलते हैँ तो ये सफ़ेद रंग के होते हैँ, पूरे दिन ये बीच बीच में से गुलाबी होने लगते हैँ और दूसरे दिन ये डार्क रेड कलर के हो जाते हैँ |फूलों का ये रंग बदलना ज़्यादा से ज़्यादा परागण ( Pollination ) के लिए विभिन्न प्रकार के कीटों को अपनी तरफ आकर्षित करने की रणनीति होती है |

कैसे लगाए :

आसानी और तेज़ी से बढ़ने वाली मधुमालती बेल किसी भी तरह की मिट्टी में लग जाती है |बस मिट्टी में नमी होनी चाहिए |इस पौधे की 3-4 लम्बी कलम लें, जिसमे 2-3 पत्तियाँ हो | कलम का 1 इंच हिस्सा मिट्टी में दबा दे और पौधे को थोड़ी छाया वाली जगह रख दे |दिन में दो बार पानी दे|1 महीने में इसकी जड़ निकल आएगी और नयी पत्ती निकलती भी दिखाई देगी | इस पौधे के लिए ज़्यादा मेहनत की ज़रूरत नहीं है |आर्गेनिक खाद जैसे गोबर या सूखे पत्ते की बनी खाद परफेक्ट है |

देखभाल कैसे करें :

इस पौधे को बड़े गमले या ज़मीन में लगाएं |ये जल्दी से मरता नहीं है और खाद ना भी मिले तो खास फर्क नहीं पड़ता है |इस पेड़ को सहारे की ज़रूरत होती है | दिन भर में कम से कम 4 घंटे धूप की ज़रुरत होती है |सप्ताह में 2 बार पानी जरूर दें |और सर्दियों में जब सूखा दिखे तब पानी डालें |

औषधिय गुण :

मधुमालती के पेड़ के लगभग हर भाग का आयुर्वेदिक उपचार है |

सर्दी -झुकाम / कफ़ की दिक्कत :

1 gm तुलसी के पत्ते,2-3 लौंग,1 गम मधुमालती के फूल, पत्ते का काढ़ा बनाये | दिन में 2-3 बार पिये | लाभ मिलेगा |

डायबिटीज की समस्या :

मधुमालती के 5-6 पत्तों का रस निकालकर 2 टाइम पिये |

लुकोरिया / श्वेत प्रदर :

पत्ती और फूलों का रस पियें |पत्तियों को पानी में उबालकर पीने से बुखार में उठे दर्द से राहत मिलती है |पेट फूलना / ब्लोटिंग से भी राहत मिलेगी |पत्तियों या फूलों के रस से किडनी की सूजन / जलन का उपचार किया जाता है |

मधुमालती की जड़ों का काढ़ा पेट के कीड़ो को निकालने और दस्त के इलाज में फायदा करता है |गठिया रोग में भी फायदा करता है |

नाम :

सामान्य नाम : रंगून क्रीपर

असमी : माधवी लता

हिंदी : मधुमालती

तमिल : ईरानगुन मल्ली

दोस्तों मैंने खुद मधुमालती का पौधा अपने छोटे से गार्डन मैं लगाया है जिसकी कुछ तस्वीरे मैं नीचे साझा कर रही हूँ |





कुछ कविता की पंक्तियाँ :

कविता 1:

सुबह सुबह ये मैंने देखा |

सुंदरता की अनुपम रेखा |

हल्की हल्की पुरवाई थी |

नन्ही कलियाँ शरमाई थी |

आंगन श्रृंगारित कर देती,

ऐसे ऐसे रंग डालती |

द्वार हमारे मधुमालती

-प्रियंशू ( प्रिय )

कविता 2:

हे प्रिये,इन मधुमालती के सुन्दर

फूलों को तुमने सदा ही देखा है

पर इन प्यारे, तिरंगे फूलों के बारे में

कभी ध्यान देकर भी सोचा है?


जब ये फूल कलिका का रूप तजकर

पुष्प बनकर खिलते हैँ,

तब ये अति कोमल, अति शुब्र होते हैँ,

उस समय ये हमारे शिशुओं जैसे होते हैँ,

मानव शिशु भी तो निष्पॉप -निष्कलंक, अबोध ही होते हैँ |


कुछ आयु पाने पर,विकसित हो जाने पर

ये फूल गुलाबी हो जाते हैँ,

मनु की संतती समान  ही ये भी

यौवन की मस्ती और सौन्दर्य छलकाते हैँ |


धूप का ताप और बीत ता समय,

इनको लाल सुर्ख कर जाता है,

ठीक वैसे ही जैसे

जीवन का ताप हमें व्यसक होने तक

सुर्खरु कर जाता है ||


माधवी लता के ये सफ़ेद,

गुलाबी, लाल फूल

हमारी जीवन की अवस्थाओं जैसे होते हैँ,

बचपन, यौवन और प्रोढ़ता की निशानी ये लगते हैँ,

अपने रंगों के मिस मानो ये

हमारे -तुम्हारे जीवन की

कथा ही तो कहते हैँ ||

आशा करती हूँ आप सबको ये ब्लॉग पसंद आया होगा | फिर मिलते हैँ अगले ब्लॉग में 🙏🏻

Comments

Popular posts from this blog

Chauth ka Barwara(Six senses fort)

 Hey friends! Welcome to Rubaru( lets get" rubaru" today with barwara fort of Rajasthan. Barwara Fort( Chauth ka Barwara) : It is situated in Sawaimadhopur dt of Rajasthan. Its in Tonk-Sawai Madhopur Loksabha Constituency. "Khandar" is the Vidhan Sabha Constituency. Chauth Ka Barwara City is on the lap of Aravali Hills. Here mainly Meenas/Gurjars exists. Source : Google History : Chauth ka barwara or barwara is the small city found in 1451 AD on the name of Goddess Chauth( chauth mata). Here Lord DevNarayan is the main lord of Gurjars and is one of the magnificent temples of Rajasthan. The Chauth of Barwara temple is the shaktipeeth.Its located on 1100 ft built by Maharaja Bheem Singh Chauhan on the hill of Barwara. Now its a part of Ranthambor national park which is just 30 mins away. Near to Barwara there were 2 places like Chauru, Pachala which are villages now. It was a dense region where tribals used to live. Chauth Mata was first found in Chauru's forest. ...

Bhoota kola- Pride of Tulu Nadu

 Hey friends🙏🏻 In this blog, I am going to talk about my experience of the movie" Kantara- a legend "  which has gained worldly fame. Kantara was originally released in kannada and it was dubbed in other languages on public demand. I personally liked the movie, the mystic experience of bhoota kola which I never knew. The dance form which influences " yakshagana ".The different culture and all the mythological sayings. Kantara is totally a different experience. It has got 9.7 Imdb rating, no movie has gotton so far. Source: Google  In this blog I am not reviewing the movie but going to talk about the " Bhoota Kola ". Bhoota means"spirit " and kola means "play" in Tulu. This is the spirit worship ritual which is followed and celebrated by Tulu- speaking people of dakshina kannada, karnataka and some places in kerela.Malenadu and kasargod. People believe that the spirits protect the village from natural calamities. If the spirits get a...

नीम करोली बाबा : महाराज -जी 🙏🏻

बाबा नीम करोली एक चमत्कारी बाबा थे |भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते थे |तो आज जानते हैं उनके बारे में कुछ रोचक बातें | बाबाजी का जन्म बीसवीं शताब्दी में हुआ था |बाबा की गिनती महान संतों में होती है |बाबाजी का जन्म अकबरपुर में हुआ था जो की उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में हैं |हिरनगांव से 500 m दूरी पर है |1900 में बाबाजी ने जन्म लिया | उनका वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था |पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था | 11 वर्ष की अल्पआयु में इनका विवाह एक ब्राह्मण परिवार की कन्या से हुआ |लेकिन कुछ समय बाद बाबाजी ने घर छोड़ दिया और वे गुजरात चले गए |वहाँ पर वैष्णव मठ में दीक्षा ली | 9 वर्ष तक साधना करने के बाद बाबा फ़िरोज़ाबाद के नीम करोली नामक गांव में रुके |यहीं ज़मीन में गुफा बनाकर एक हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित की |किसी परिचित ने बाबा के पिता के बारे में बताया | तो उन्हें वापस गृहस्थ आश्रम जाना पड़ा |बाबा के 2 पुत्र और एक पुत्री हुए |लेकिन 1958 के आस पास बाबा ने घर त्याग दिया | फिर बहुत से स्थानों का भ्रमण करते हुए बाबाजी कैंची ग्राम पहुंचे | 9 सितम्बर 1973 बाबाजी कैंची धाम से आगरा क...