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Showing posts from September, 2023

दिवाली के महा उपाय : दिवाली 2023

 इस साल दिवाली का पर्व 10 नवम्बर के धनतेरस के साथ शुरू होकर 15 नवम्बर को भाई दूज के साथ संपन्न हो रहा है |पौराणिक कथा के अनुसार श्री राम और माँ सीता के वनवास से लौटने पर दिवाली मनाई जाती है | इसी दिन माँ महालक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से वे बहुत प्रसन्न होती हैं और घर में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होने देती | वहीं ज्योतिष में दिवाली की रात को एक अलग महत्व दिया गया है ||दिवाली की रात को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है |दिवाली की रात को सर्व -सिद्धि रात भी कहते हैं |कुछ ज्योतिष उपाय किये जाये तो वह ज़रूर फलित होते हैं और लाभ भी पंहुचाते हैं | उपाय : 1. दिवाली के दिन घर में सोने या चांदी का हाथी ( अगर चांदी का हो तो बहुत ही शुभ फल देता है ) स्थापित करें और दिवाली के दिन से नियमित पूजा शुरू करें | 2. दिवाली के दिन 11 कौड़ियाँ लेकर उसे लाल कपडे में लपेटे और फिर तिजोरी में रख दे | धन की कभी कमी नहीं होगी | 3. गणेश -लक्ष्मीजी  के सिक्के के अलावा मंदिर में सिर्फ चांदी का सिक्का विधिवत स्थापित करें और पूजा करें | 4. इस दिन लाल कलश में नारियल और आम के पत्ते डालें | कलश पर रोली से स्वस्तिक

नीम करोली बाबा : महाराज -जी 🙏🏻

बाबा नीम करोली एक चमत्कारी बाबा थे |भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते थे |तो आज जानते हैं उनके बारे में कुछ रोचक बातें | बाबाजी का जन्म बीसवीं शताब्दी में हुआ था |बाबा की गिनती महान संतों में होती है |बाबाजी का जन्म अकबरपुर में हुआ था जो की उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में हैं |हिरनगांव से 500 m दूरी पर है |1900 में बाबाजी ने जन्म लिया | उनका वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था |पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था | 11 वर्ष की अल्पआयु में इनका विवाह एक ब्राह्मण परिवार की कन्या से हुआ |लेकिन कुछ समय बाद बाबाजी ने घर छोड़ दिया और वे गुजरात चले गए |वहाँ पर वैष्णव मठ में दीक्षा ली | 9 वर्ष तक साधना करने के बाद बाबा फ़िरोज़ाबाद के नीम करोली नामक गांव में रुके |यहीं ज़मीन में गुफा बनाकर एक हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित की |किसी परिचित ने बाबा के पिता के बारे में बताया | तो उन्हें वापस गृहस्थ आश्रम जाना पड़ा |बाबा के 2 पुत्र और एक पुत्री हुए |लेकिन 1958 के आस पास बाबा ने घर त्याग दिया | फिर बहुत से स्थानों का भ्रमण करते हुए बाबाजी कैंची ग्राम पहुंचे | 9 सितम्बर 1973 बाबाजी कैंची धाम से आगरा क

विष्णु भगवान के अवतार : शुभ बृहस्पतिवार

 नमस्ते दोस्तों, आज हम रूबरू होंगे विष्णु भगवान की कुछ अद्भुत कथाओं से | इस ब्लॉग में हम उनके अवतारों के बारे में बात करेंगे | भगवान विष्णु : भगवान विष्णु भक्तों के दिल में बसते हैँ |नारायण के जितने ही गुणगान कर लें उतने ही कम हैँ |भगवान विष्णु ब्रह्मण्ड के रक्षक माने जाते हैँ |ब्रह्मा, विष्णु और शिव मिलकर त्रिदेव कहलाते हैं | विष्णुजी को चार भुजाओं वाला और गुलाबी कमल पर आसीन दिखाया जाता है |उनके एक हाथ में शंख रहता है जो पवित्र ध्वनि ॐ का प्रतीक है | दूसरे हाथ में सुदर्शन चक्र रहता है  जो समय के चक्र तथा नेक जीवन जीने की याद दिलाता है |तीसरे हाथ में कमल का पुष्प है जो गौरवशाली अस्तित्व का सूचक है |उनके चौथे हाथ में गदा रहती है | बहुत तेज़ गति से उड़ने वाला गरुड़ उनका वाहन है |उन्हें अधिकतर अपने निवास क्षीरसागर में कुंडली मारे शेषनाग पर आराम करते दिखाया जाता है | विष्णु के दस अवतार हैं | सबसे लोकप्रिय राम और कृष्ण हुए हैं | विष्णु भगवान को अपना दसवा  अवतार लेना बाकी है| उनका दसवा अवतार तब होगा जब दुनिया में अधर्म पूरी तरह से बढ़ जाएगा | सोजन्य : गूगल  कहा जाता है की विष्णु पाताल लोक के